निस्संदेह मानवता अपने सबसे बुरे दौर से जूझ रही है। दुनिया में लाखों लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं और हजारों लोग जान गंवा चुके हैं। कहते हैं ना, कि हर बुरा वक्त कुछ सबक दे जाता है। तस्वीर का दूसरा रुख यह है कि विश्वव्यापी लॉकडाउन के चलते दुनिया की आबोहवा में अभूतपूर्व सकारात्मक बदलाव आया है। अरबों रुपये खर्च करके जो गंगा साफ नहीं हो पायी, वह अधिकांश स्थानों पर नहाने लायक हो गई है। कमोबेश, गंगा की सहायक नदियों की भी यही स्थिति है। दिल्ली में जो यमुना गंदा नाला बनी थी, उसका पानी आसमानी रंग जैसा हो गया है। मार्च के अंतिम दिनों में 91 बड़े शहरों की आबोहवा के जो आंकड़े आये, उन्होंने एक उजली तस्वीर उकेरी। यही स्थिति दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू व चेन्नई की है। ऐसा ही नजारा चीन, इटली व स्पेन आदि देशों में नजर आया। आजकल आसमान में तारे स्पष्ट नजर आ रहे हैं। दिखते पहले भी थे, मगर धुंध-धूल के चलते वे स्पष्ट नजर नहीं आते थे। पंजाब में जालंधर के लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा जब उन्होंने अपने घरों से ही बर्फ से आच्छादित धौलाधार की पहाड़ियों को देखा, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक हिमाचल के धर्मशाला शहर पहुंचते हैं। निसंदेह यह स्थित अस्थायी है और लॉकडाउन खत्म होने पर हालात पूर्ववत हो जायेंगे। लेकिन यह सबक है कि विकास के साथ हम प्रकृति का भी ख्याल रखें। पिछले दिनों हरिद्वार से खबर आई कि हाथी सुनसान सड़कें पाकर पवित्र स्नान स्थल हर की पौड़ी जा पहुंचे। लोगों की याद में यह पहला वाकया है जब हाथी हर की पौड़ी पहुंचे हों। कई स्थानों पर तेंदुए और हिरनों की विभिन्न प्रजातियों को इनसानी हस्तक्षेप वाले वाले इलाकों में विचरण करते हुए देखा गया। पूरी दुनिया में यही स्थिति है। नदियों का पानी मछलियों व अन्य जीवों के लिए अनुकूल हुआ है। समुद्र तट पर मगरमच्छ अंडे देने आने लगे हैं। कहीं न कहीं हमने वन्य जीवों के प्राकृतिक अधिवास का अतिक्रमण किया है। कह सकते हैं प्रकृति ने मानव को संदेश दिया है कि वह अपनी हद में रहकर विकास की परिभाषा तय करे। यह दुनिया इनसान ही नहीं सभी जीवों की है। इनसान को अपनी जीवनशैली बदलने और खान-पान की आदतें सुधारने का भी संदेश है। विकास को नये सिरे से परिभाषित करने का संदेश है। दुनिया में संक्रमित रोगों पर अध्ययन बता रहा है कि प्रदूषित हवा वाले क्षेत्रों में विभिन्न रोगों के वायरसों का ज्यादा प्रकोप होता है। यह सुखद है कि भारत कोरोना वायरस के वैसे प्रकोप का शिकार नहीं हुआ जैसे इटली, स्पेन, चीन व अमेरिका हुए हैं। मगर हमें अपना हवा-पानी साफ रखना होगा, जानते हुए कि भारत में प्रदूषित वायु से जनित रोगों से हर साल बारह लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं।
इनसान को आईना